शिक्षा मंत्रालय (एमओई) ने यूजीसी के दिशानिर्देशों के बाद स्पष्ट किया है कि किसी आरक्षित पद को अनारक्षित नहीं किया जा सकता। यूजीसी ने एससी, एसटी और ओबीसी अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित रिक्तियां अनारक्षित घोषित करने का प्रस्ताव रखा था। शिक्षा मंत्रालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की दिशा-निर्देशों को लेकर हितधारकों की आपत्ति और सुझाव के लिए एक स्पष्टीकरण जारी किया है।
शिक्षा मंत्रालय (एमओई) ने रविवार को स्पष्ट किया कि किसी भी आरक्षित पद को अनारक्षित नहीं किया जा सकता। मंत्रालय का यह स्पष्टीकरण विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के एक मसौदा दिशानिर्देशों के बाद आया है, जिसमें प्रस्ताव किया गया था कि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित रिक्तियां इन श्रेणियों के पर्याप्त अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में अनारक्षित घोषित की जा सकती हैं।
‘उच्च शिक्षा संस्थानों में भारत सरकार की आरक्षण नीति के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश’ हितधारकों की आपत्ति और सुझाव के लिए जारी किये गये हैं। मसौदा दिशानिर्देशों को आलोचना का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि उच्च शिक्षा संस्थानों में पदों पर एससी, एसटी और ओबीसी को दिए गए आरक्षण को समाप्त करने की “साजिश” की जा रही और (नरेन्द्र) मोदी सरकार दलितों, पिछड़े वर्गों और आदिवासियों के मुद्दों पर केवल “प्रतीक की राजनीति” कर रही है।