विनेश फोगाट बोलीं-हमारे आंसुओं को ड्रामा कहा:सफेदपोशों की चाहत लड़कियां रहें कदमों में; पहलवान बहनों को इंसाफ दिलाकर रहूंगीं

‘’म्हारी छोरियां, छोरों से कम हैं के’’ आमिर खान की फिल्म ‘दंगल’ का यह डायलॉग सुनने में सबको बहुत मीठा लगा, लेकिन इन दिनों कई महिला पहलवान खुद को कमतर महसूस कर रही हैं। उन्हें लग रहा है कि उनकी आवाज दबाई जा रही है और ऐसा सिर्फ इसलिए हो रहा है कि वे लड़कियां हैं

दरअसल, इन दिनों देश के कई बड़े पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिए बैठे हैं। इन पहलवानों ने कुश्ती संघ के अध्यक्ष पर महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण के आरोप लगाए हैं। उनकी मांग है कि अध्यक्ष पर कार्रवाई की जाए। पहलवानों का कहना है कि वे कुश्ती संघ के अध्यक्ष की गिरफ्तारी तक अपना धरना जारी रखेंगे।

धरने पर बैठी महिला पहलवानों में विनेश फोगाट भी शामिल हैं। प्रतिष्ठित अर्जुन अवॉर्डी पहलवान विनेश फोगाट कॉमनवेल्थ और वर्ल्ड चैंपियनशिप में देश के लिए पदक जीत चुकी हैं।

पहलवान बनकर लगा था बहुत ताकतवर हूं, आज कमजोर महसूस कर रही हूं

मेरा जन्म पहलवानों के घर में हुआ। बचपन अखाड़ों, दांव-पेंच और चित-पट के बीच गुजरा। शुरू से सपना था कि पहलवान बनूं, देश के लिए मेडल लाऊं। ‘पहलवान’ शब्द सुनने में बड़ा अच्छा लगता है। कोई आपको पहलवान कहकर बुलाए तो बड़ा ताकतवर महसूस होता है। लगता है मानों हम धरती का सीना फाड़ सकते हैं या पहाड़ उठा सकते हैं।

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