चंद्रमा पर इंसान बस सकता है या नहीं : पृथ्वी जैसा ग्रह खोजने का रास्ता भी निकालेगा; 14 दिन क्या-क्या करेगा चंद्रयान-3

चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन चुका है। चंद्रयान 3 मिशन का सबसे बड़ा उद्देश्य चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की तकनीक को परखना और दर्शाना था। भारत इस मकसद में कामयाब हो चुका है। अब चंद्रमा पर विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चांद के एक दिन यानी धरती के 14 दिनों के लिए एक्टिवेट हो चुके हैं।

1. पृथ्वी जैसे जीवन से भरे गृहों की खोज के लिए एक्सपेरिमेंट

  • चंद्रयान में स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री नाम का एक उपकरण है। इसे SHAPE यानी Spectro-polarimetry of Habitable Planet Earth नाम दिया गया है।
  • SHAPE पृथ्वी से आने वाले प्रकाश का अध्ययन करेगा। इसका मकसद यह पता लगाना है कि जिन खगोलीय पिंडों पर जीवन होता है उनसे आने वाले प्रकाश और बाकी पिंडों से आने वाले प्रकाश के स्पेक्ट्रम में क्या अंतर होता है।
  • यह प्रयोग खगोल विज्ञान के लिए काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके जरिए पृथ्वी जैसे उन ग्रहों की खोज में काफी मदद मिलेगी। इसके सफल होने से भारत अमेरिका स्पेस एजेंसी नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी की कतार में खड़ा हो जाएगा।

2. धरती और चांद के बीच की सटीक दूरी की जानकारी

  • चंद्रयान-3 के साथ एक LASER Retroreflector Array नाम का एक जरूरी इंस्ट्रूमेंट लगा है, जो लगातार धरती और चांद के बीच की सटीक दूरी की जानकारी देगा। इसे अमेरिकी स्‍पेस एजेंसी ‘नासा’ ने डिजाइन किया है।
  • अपने-अपने ऑर्बिट में घूमने के कारण पृथ्‍वी और चंद्रमा के बीच की दूरी घटती- बढ़ती रहती है। इस LASER की मदद से हम चंद्रमा के ऑर्बिट और इसके धरती पर प्रभाव की जानकारी पा सकेंगे।
  • इससे समुद्र में उठने वाले ज्‍वार-भाटा का अनुमान लगाने और तटीय इलाकों के वातावरण को समझने और मैनेज करने में आसानी होगी।

3. चंद्रमा की मिट्टी काम की है या नहीं

  • प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह की मिट्टी भी जमा करेगा। चंद्रमा की मिट्टी का परीक्षण करने के लिए रोवर में अल्‍फा पार्टिकल X-रे स्‍पेक्‍ट्रोमीटर और लेजर इंड्यूस्‍ड ब्रेकडाउन स्‍पेक्‍ट्रोमीटर, दो बेहद जरूरी उपकरण लगे हुए हैं।
  • चंद्रमा की मिट्टी के परीक्षण से यह पता चल पाएगा कि‍ वास्‍तव में चंद्रमा कितना पुराना है और समय के साथ इसमें क्‍या बदलाव हुए हैं। यह पृथ्‍वी समेत हमारे पूरे सौर मंडल के जन्‍म से जुड़े राज खोलने में मदद कर सकता है।
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