दिल्ली सरकार ने मेडिकल और नॉन-मेडिकल स्टाफ को छुट्टी नहीं देने के आदेश पर लगाई रोक

दिल्ली सरकार ने मेडिकल और नॉन-मेडिकल स्टाफ को छुट्टी नहीं देने के आदेश पर लगाई रोक

Dillinews7

राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस के मामलों में गिरावट को देखते हुए दिल्ली सरकार ने सोमवार को किसी भी मेडिकल और नॉन मेडिकल स्टाफ को छुट्टी नहीं देने के अपने आदेश पर रोक लगा दी। सरकार ने इस साल 16 मई को मेडिकल और नॉन मेडिकल स्टाफ को कोई छुट्टी नहीं देने को लेकर आदेश जारी किया था।

नए आदेश में कहा गया है कि जीएनसीटीडी के तहत अस्पताल परिचालन दक्षता बनाए रखने और सभी घटनाओं से निपटने के लिए आवश्यक मैन पावर को बनाए रखते हुए अपने अधीन कर्मचारियों को आवश्यक छुट्टी दे सकते हैं।

दिल्ली जब कोरोना महामारी की भीषण दूसरी लहर की चपेट में थी उस दौरान रोजाना बड़ी संख्या में लोगों की जान जा रही थी। संक्रमण के मामले इस तेजी से बढ़े थे कि दिल्ली के अस्पतालों में बेड्स और ऑक्सीजन की कमी हो गई थी। सभी अस्पतालों में मरीजों के लिए ऑक्सीजन की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए मारामारी रही।

दिल्ली में 20 अप्रैल को सबसे 28,395 नए मामले सामने आए थे, जो अब तक एक दिन में सर्वाधिक हैं। 22 अप्रैल को यहां पॉजिटिविटी रेट 36.2 प्रतिशत पर पहुंच गया था। महामारी के कारण राजधानी में तीन मई को एक दिन में सबसे अधिक 448 लोगों की मौत हुई थी। मई के मध्य के आसपास मामलों में गिरावट आनी शुरू हुई और अब पॉजिटिविटी रेट एक प्रतिशत से नीचे है। राजधानी में पिछले 30 दिनों (25 जून से) में कोरोना वायरस संक्रमण के 2,320 मामले सामने आए हैं जो औसतन प्रतिदिन 77 मामले हैं। 

दिल्ली में कोरोना के 39 नए केस, एक मरीज की मौत

दिल्ली में सोमवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 39 नए केस सामने आए, जबकि एक व्यक्ति की मौत हो गई। राजधानी में संक्रमण दर 0.07 फीसदी रही। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी हेल्थ बुलेटिन में कहा गया है कि नए मामले सामने आने के साथ ही शहर में संक्रमितों की संख्या बढ़ कर 14,35,949 हो गई है जिनमें से 14.10 लाख से अधिक मरीज संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। राजधानी में अब तक महामारी के कारण 25,044 लोगों की मौत हो चुकी है। दिल्ली में अभी 537 एक्टिव मामले हैं जिनमें से 162 मरीज होम आइसोलेशन में हैं। दिल्ली में कंटेनमेंट जोन की संख्या अब 305 है। इसमें कहा गया है कि एक दिन पहले कुल 56,435 नमूनों की जांच की गई और इनमें से 45,423 आरटीपीसीआर जांच थीं। 

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