एम्स में शुरू होगा बच्चों का इंटेस्टाइन ट्रांसप्लांट भी, दिल्ली में अभी तक नहीं हुई है कोई ऐसे सर्जरी

एम्स में शुरू होगा बच्चों का इंटेस्टाइन ट्रांसप्लांट भी, दिल्ली में अभी तक नहीं हुई है कोई ऐसे सर्जरी

एम्स में दो बच्चों की इंटरस्टाइन सर्जरी की जाएगी। इन बच्चों की जान बचाने के लिए अब सर्जरी ही एक रास्ता है इसलिए एम्स ने फैसला किया है कि इंटेस्टाइन ट्रांसप्लांट किया जाएगा। इन बच्चों में एक को गैंगरिन हो गया था और उसकी जान बचाने के लिए इंटरस्टाइन निकलानी पड़ी।

12 से 14 साल का एक बच्चा पिछले कई महीनों से एम्स में एडमिट है। बच्चे की आंत(intestine) खराब हो गई है। उसे गैंगरिन हो गया था। सर्जरी कर डॉक्टर ने उसकी आंत तो निकाल दी, लेकिन उसे जिंदा रखने के लिए बाहर से पैरेंटल फूड दिया जा रहा है। बच्चे की जान खतरे में है। उसे अस्पताल से छुट्टी देने पर उसकी जान जा सकती है। इसलिए उसे एम्स में रखा जा रहा है, ताकि पैरेंटल फूड का खर्च न उठाना पड़े। लेकिन इंटेस्टाइन ट्रांसप्लांट से बच्चे की जान बच सकती है। फिलहाल ऐसे दो बच्चों का इलाज एम्स में चल रहा है। यही वजह है कि अब ऐसे बच्चों की जान बचाने के लिए एम्स इंटेस्टाइन ट्रांसप्लांट शुरू करने का फैसला किया गया है। इसके लिए कवायद शुरू कर दी गई है। 10 मेंबर की एक कमिटी बनाई गई है, जो इस ट्रांसप्लांट को सफल बनाने के लिए अपने अपने सुझाव देगी। शुरुआत में केवल बच्चों के मामले में ही ट्रांसप्लांट किए जाएंगे, बाद में इंजरी की वजह से खराब होने वाले अडल्ट का भी ट्रांसप्लांट शुरू किया जाएगा।

शुरू में केवल बच्चों का होगा ट्रांसप्लांटएम्स में इंटेस्टाइन ट्रांसप्लांट के लिए बनाई गई कमिटी के डॉक्टर वी. सीनू ने कहा कि प्रपोजल पर काम शुरू है। अभी एम्स को आंत ट्रांसप्लांट का लाइसेंस नहीं मिला है। तैयारी शुरू कर दी गई है। पहले फेज में केवल बच्चों की ही आंत का ट्रांसप्लांट शुरू किया जाएगा। क्योंकि कई बच्चों में जन्म के साथ ही आंत में दिक्कत होती है, तो कई बार पूरी आंत बनी नहीं होती है। ऐसी स्थिति में बच्चों को ज्यादा समय तक जिंदा रख पाना आसान नहीं होता है। दूसरे फेज में बड़ों में चोट लगने या बुलेट इंजरी आदि की वजह से खराब होने पर भी आंत ट्रांसप्लांट किया जाएगा।

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