शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद बोले- पुरानी प्रतिमा की प्रतिष्ठा हो, स्वयंभू मूर्ति के बदले दूसरी स्थापित नहीं कर सकते

अयोध्या में 16 जनवरी से शुरू हुए प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का गुरुवार 18 जनवरी को तीसरा दिन है। आज रामलला की मूर्ति दोपहर पौने एक बजे गर्भगृह में रखी जा सकती है। इसकी स्थापना रामयंत्र पर होगी।

इससे पहले 17 जनवरी को गर्भ गृह में स्थापित होने वाली रामलला की 200 किलो वजन की नई मूर्ति को जन्मभूमि मंदिर परिसर लाया गया था। इस दौरान मूर्ति को परिसर भ्रमण कराना था, लेकिन भारी होने के कारण इसकी जगह रामलला की 10 किलो की चांदी की मूर्ति परिसर में घुमाई गई।

इस बीच, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि मुख्य वेदी पर रामलला विराजमान की ही प्राण प्रतिष्ठा होनी चाहिए। अयोध्या और आसपास के इलाकों के मौसम की जानकारी के लिए भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने नया वेबपेज बनाया है।

अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। पूरा कार्यक्रम 40 मिनट का रहेगा। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी गर्भगृह में मौजूद रहेंगे।

ख्य वेदी पर श्री रामलला विराजमान की ही प्रतिष्ठा हो- अविमुक्तेश्वरानंद

​​​​​ज्योतिषपीठाधीश्वर (बद्रिकाश्रम) अविकमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को चिट्ठी लिखी है। इसमें उन्होंने कहा कि मंदिर के जिस गर्भगृह में प्राण प्रतिष्ठा की बात कही जा रही है, वहां श्री रामलला विराजमान की ही प्रतिष्ठा की जाए। अन्यथा किया गया कार्य इतिहास, जनभावना, नैतिकता, धर्मशास्त्र और कानून की दृष्टि से अनुचित होगा, साथ ही यह रामलला विराजमान पर भी बहुत बड़ा अन्याय होगा। मुख्य वेदी पर श्री रामलला विराजमान की प्रतिष्ठा अनिवार्य है।

शंकराचार्य का ये भी कहना है कि स्वयंभू, देव-असुर या पूर्वजों द्वारा स्थापित मूर्ति के खंडित होने पर भी उसके बदले दूसरी मूर्ति स्थापित नहीं कर सकते।

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