क्या AAP थामेगी कांग्रेस का ‘हाथ’? 2024 में दिल्ली की राजनीति में भी होगा ‘नया’ बदलाव

कल से नया साल शुरू हो रहा है। ये नया साल दिल्ली की राजनीति में भी कई बदलाव ला सकता है। लोकसभा चुनाव के बाद दिल्ली विधानसभा चुनावों की तैयारियां शुरू हो जाएंगी।

  • लोकसभा के बाद शुरू होगी दिल्ली विधानसभा चुनावों की तैयारी
  • कांग्रेस और आम आदमी पार्टी साथ मिलकर लड़ सकती हैं चुनाव
  • I.N.D.I.A गठबंधन में AAP भी है प्रमुख सहयोगी पार्टी

2023 की तरह भी क्या 2024 में दिल्ली की राजनीति में कोई नया बदलाव देखने को मिलेगा या फिर दिल्ली अपनी पुरानी राह पर ही आगे बढ़ती नजर आएगी? राजनीतिक लिहाज से दिल्ली में 2024 में लोकसभा चुनाव तो होंगे ही लेकिन उसके साथ ही इन चुनावों से एक साल से भी कम समय में दिल्ली में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में दिल्ली की राजनीति के लिए 2024 अहम वर्ष साबित हो सकता है।

क्या आप और कांग्रेस का हाथ मिलेगा?
दिल्ली में राजनीतिक उठापटक के बीच अगले साल में सबसे महत्वपूर्ण बदलाव अगर होगा तो वह आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का मिलकर चुनाव लड़ने का होगा। राष्ट्रीय स्तर पर भले ही दोनों पार्टियों के बीच मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने पर सहमति बनी हो लेकिन दोनों पार्टियों के सामने बड़ी चुनौतियां भी हैं। पहली चुनौती तो दोनों के बीच सीटों पर सहमति बनाने पर होगी और दूसरी जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय बनाने और वोट ट्रांसफर कराने की। जाहिर है कि आप चाहेगी कि वह अधिक सीटों पर लड़े और कांग्रेस कम सीटों पर। इसके लिए आप का तर्क होगा कि इसी साल नगर निगम चुनाव में कांग्रेस की हालत कोई बेहतर नहीं रही है और उसकी पार्टी के महज 9 पार्षद ही जीत सके। लेकिन कांग्रेस इसके जवाब में लोकसभा चुनाव के नतीजों का तर्क देना चाहेगी, जहां वह न सिर्फ 2014 बल्कि 2019 में भी दूसरे नंबर पर रही है और उसने आप के मुकाबले चार फीसदी अधिक वोट हासिल किए थे। ऐसे में 2024 में दिल्ली की राजनीति की चाल इस पर निर्भर करेगी कि दोनों के बीच सीटों की संख्या को लेकर ‘दिल’ से कितनी सहमति बनती है।

बीजेपी के लिए भी कम नहीं है चुनौती
बीते दो लोकसभा चुनाव में सातों सीटों पर जीत हासिल करती आ रही बीजेपी, भले ही इस बार भी मोदी मैजिक की उम्मीद में हो लेकिन अगर आप और कांग्रेस के बीच सीटों का सहमति से बंटवारा हो गया तो ये दोनों पार्टियां ही बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बन जाएंगी। हालांकि, बीजेपी नेता ये दावा करते रहे हैं कि 2019 में उसने 56 फीसदी से अधिक वोट हासिल किया था इसलिए अगर आप और कांग्रेस मिलकर भी चुनाव लड़ेंगे तो उनके मुकाबले बीजेपी का वोट 50 फीसदी से अधिक है। ऐसे में उसके लिए दोनों पार्टियां मिलकर भी चुनाव लड़े तो भी चिंता की बात नहीं है। लेकिन बीजेपी के लिए ये चिंता इसलिए हो सकती है, क्योंकि अगर इसी साल निगम चुनाव के आंकड़े देखें तो बीजेपी को महज 39 फीसदी वोट मिले, जबकि कांग्रेस और आप के वोट मिला दें तो वह आंकड़ा 51 फीसदी का बैठता है। ऐसे में अगर आप और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो दिल्ली की राजनीति एक नई राह पर आगे बढ़ सकती है और इसके नतीजों का असर फरवरी 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी नजर आ सकता है।

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