दिल्ली में दिखा बैन का असर, 15 दिन में घट गई 33% डीजल की बिक्री

दिल्ली में फैल रहे प्रदूषण के कारण राजधानी में कमर्शल और प्राइवेट गाड़ियों पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। जिसके करण सड़कों पर प्राइवेट गाड़ियां बेहद ही कम दिख रही है। हालात तो कुछ ऐसे बन गए हैं कि कि दिल्ली में डीजल भरवाने वाली गाड़ियों में काफी गिरावट आई हैं।

 प्रदूषण की रोकथाम के लिए ग्रैप-3 और ग्रैप-4 के तहत डीजल से चलने वाली कमर्शल और प्राइवेट गाड़ियों पर कई तरह के कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं। इसकी वजह से दिल्ली में डीजल की बिक्री में भी भारी गिरावट आ गई है, जिसने पेट्रोल पंप संचालकों को चिंता में डाल दिया है, क्योंकि उनकी ओवरऑल सेल भी गिर गई है और नुकसान उठाना पड़ रहा है।

डीजल की बिक्री पर असर

दिल्ली पेट्रोल डीलर्स असोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी राजीव जैन ने बताया कि दिल्ली में पांच नवंबर से ग्रैप-4 लागू हुआ था, जिसके बाद जरूरी सामान लेकर आ रहीं कमर्शल गाड़ियों को छोड़कर अन्य सभी हेवी और लाइट कमर्शल वीकल्स की एंट्री और परिचालन पर रोक लगा दी गई थी। इंटरस्टेट बसों की एंट्री को भी सीमित कर दिया गया। डीजल की बीएस-4 इंजन वाली प्राइवेट गाड़ियों पर तो इसके भी कुछ दिन पहले से ही रोक लगा दी गई थी, जबकि नवंबर की शुरुआत में ग्रैप-3 लागू हुआ था।

इसके चलते पूरे फेस्टिव सीजन में कारोबार भी प्रभावित रहा। इसी का नतीजा है कि पांच नवंबर से 19 नवंबर के बीच दिल्ली में डीजल की बिक्री में पिछले महीने के मुकाबले करीब 33 प्रतिशत तक की गिरावट आ गई। उन्होंने बताया कि आमतौर पर दिल्ली में हर महीने करीब 5-6 करोड़ लीटर डीजल की बिक्री होती है, लेकिन अनुमान है कि नवंबर में यह घटकर 3-4 करोड़ लीटर के आसपास ही रह जाएगी। इसकी सबसे बड़ी वजह कमर्शल गाड़ियों और डीजल की प्राइवेट गाड़ियों के परिचालन पर लगा बैन है। इसके अलावा एनसीआर से जो गाड़ियां डीजल लेने के लिए दिल्ली आती थीं, उनकी आवक भी अब बहुत कम रह गई है, क्योंकि बॉर्डर पर चेकिंग चल रही है।

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